Thursday, September 8, 2016

राजा के सिर पर सींग@दादी की कहानी

एक राजा के सिर पर सींगें उग आयीं। राजा ने कई दिनों तक यह बात सबसे छुपाने की भरपूर कोशिश की। राजा के बाल बड़े हो गये थे, लेकिन वह बाल बनवाने से डरता था , कि कहीं नाई उसकी सींगों को देख न ले।

जब बाल काफी बढ़ गये, तब मजबूर होकर राजा ने नाई को राजमहल बुलवाया। और एकांत में नाई से बाल बनवाया। नाई ने तो राजा के सिर पर सींगें देख लीं।

"महाराज! आपके सिर पर तो सींगें हैं।" नाई ने चौंक कर कहा।

"अरे! मूर्ख,  धीरे से बोल कोई सुन न ले।यह बात किसी को भी पता नहीं लगनी चाहिए । तू कुछ धन ले-ले लेकर किसी को कुछ मत बताना सींगों के बारे में।" राजा ने नाई को हिदायत दी और विनती भी की।

नाई ने राजा की बात मानकर इस बात का वचन दिया कि वह यह बात किसी को नहीं बतायेगा।

नाई अपने घर आ गया लेकिन उसके मन में खलबली मच गई। वह बेचैन था यह बात बताने के लिए लेकिन बताये किससे?  बात खुलने पर राजा दण्ड भी दे सकता है। एक बार सोचा कि पत्नी को ही बताकर दिल का बोझ हल्का कर लिया जाए, पर हिम्मत नहीं पड़ी कि कहीं पत्नी दूसरों को न बता दे। तभी उसके मन में एक ख्याल आया कि सुना है कि पेड़ों में भी जान होती है, क्यों न उन्हीं से अपनी बात बता दूँ!

नाई एक शीशम के पेड़ के पास जाकर बोला, " अरे! सुनते हो! हमारे राजा के सिर पर सींगें हैं।" शीशम के पेड़ को बताकर नाई का दिल हल्का हो गया। नाई को बड़ी राहत महसूस हुई।

लेकिन शीशम के पेड़ के मन में हलचल शुरू हो गयी। पर वह बताऐ किससे? वह एक पेड़ जो ठहरा।

काफी समय बाद शीशम का पेड़ सूखने लगा।
एक समय ऐसा आया जब शीशम का पेड़ बिक गया और उसे काटकर उसके टुकड़े कर दिये गये । उसी शीशम की लकड़ी की एक सारंगी बनायी गयी जिसे एक फकीर ने खरीदा। जब फकीर ने सारंगी बजाना शुरू किया तो सारंगी से आवाजें आने लगीं।अंअंअं अंअंअं राजा के सिर पर सींग है अंअंअंअंअं राजा के सिर पर सींग है।---''' बातें कभी नहीं मरतीं। वृक्ष भी सुनते हैं।।

(सारंगी को घूनापीसी भी कहा जाता है।)
@अशोक सिंह सत्यवीर